त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला. योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥ लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।। श्रीगुरु चरन https://shivchalisas.com